दोस्तो, आपने पहली कहानी तो पढ़ ली और आपके काफी मेल मिले अब मैं आपको आगे की कहानी सुनाता हूँ।
कीर्ति और मैं अब एक दूसरे के साथ काफी घुल मिल गये थे। और सिद्धार्थ को भी मेरे और कीर्ति के ऊपर कोई भी शक नहीं था क्योँकि वह कीर्ति का दीवाना था।
लेकिन सिद्धार्थ के ओफिस के कारण सिद्धार्थ को ज्यादा बाहर ही रहना पड़ता था। इस बात का फायदा मुझे और कीर्ति को मिलता था।
एक बार कीर्ति के भाई की शादी थी और सिद्धार्थ शहर से बाहर था तो सिद्धार्थ ने फोन पर कहा कि अमित अपनी भाभी को उनके घर तुम लेकर चले जाना और मैं सीधे ही वहाँ पर आ जाऊँगा।
तो मैंने पूछा कि कब जाना है तो सिद्धार्थ ने कहा कि तुम चार दिन पहले जाओगे। फिर तो मैं भी आ जाऊँगा। यह सुनकर मैंने हाँ कह दी।
दो दिनों के बाद मैं और कीर्ति दोनों कीर्ति के मायके के लिए निकले और फिर उनके घर पर सभी ने हमारा स्वागत किया और कीर्ति ने मुझे अपने कमरे के बराबर वाला ही कमरा दिया।
मेरे कमरे में टायलेट अटैच था। और कीर्ति के कमरे में टायलेट अटैच नहीं था। तो कीर्ति की भाभी ने कहा कि अमित जी और कीर्ति तुम दोनों नहाकर आ जाओ।
फिर मार्किट चलेंगे। फिर कीर्ति ने कहा कि मैं नहा लेती हूँ और अमित जी फिर आप नहा लेना। मैंने कहा कि ठीक है आप नहाओ और मैं अपना सामान कमरे में रखता हूँ घर में शादी की वजह से कीर्ति मेरे कमरे में नहाने चली गयी और मैंने अपना सामान कमरे में रखना शुरू कर दिया।
कीर्ति नहा कर बाहर निकली तो कीर्ति ने अपने शरीर पर केवल तौलिया ही लपेट रखा था और उसके बाल गीले थे। उस समय कीर्ति को देखकर मेरे मन में कीर्ति की चूत मारने की इच्छा होने लगी।
मैंने कीर्ति को देखकर कहा- कीर्ति! मेरी इच्छा हो रही है!
कीर्ति ने कहा- अमित रात तो होने दो!
मैंने कहा- रात में कैसे करेंगे?
तो कीर्ति ने कहा- मैं सब देख लूंगी।
कीर्ति के चूतड़ों से नीचे तक के लम्बे बालों को देखकर मैं और भी उत्तेज़ित होता जा रहा था। इस बीच मैंने कीर्ति को पकड़कर उसके होंठों को चूम लिया तो कीर्ति ने कहा कि बस कोई आ जायेगा।
मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा बन्द कर दिया। कीर्ति ने मना किया तो मैंने कहा कि कुछ नहीं करूँगा, बस एक बार तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ।
मैंने उसके शरीर से तौलिया हटा दिया। कीर्ति की चुच्ची एक दम पहा्ड़ की तरह खड़ी थी। फिर मैं कीर्ति की चुच्ची को चूमने लगा और कीर्ति के मुँह को भी चूमा।
कीर्ति भी गर्म होने लगी और उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ घुमानी चालू कर दी। फिर मैंने कीर्ति को वहीं बैड पर लिटा दिया और उसके पूरे शरीर को चूमने लगा।
अब कीर्ति भी सब कुछ भुलती जा रही थी। मैंने उसकी चूत पर अपने लण्ड की गर्मी को महसूस करवाया तो कीर्ति ने कहा- अमित जल्दी जल्दी कर लो और जो कमी रह जायेगी रात को पूरी कर लेना!
फिर मैं कीर्ति की चूत में अपने लण्ड को आगे पीछे करने लगा और मेरी रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी। 20-25 झटको में ही मेरा वीर्य कीर्ति की चूत में चला गया और बाहर भी नहीं आया तो मैंने कीर्ति से कहा- आज वीर्य बाहर नहीं निकला।
उसने कहा- मेरा मासिक धर्म से दो दिन पहले ही बन्द हुआ है!
मैंने कहा- फिर?
तो कीर्ति बोली- कोई बात नहीं मैं तुम्हारे ही बच्चे की माँ तो बनूँगी, और क्या होगा।
फिर मैंने कीर्ति को चूमा और बाहर आ गया। कीर्ति और मैं तो पहले से ही पति-पत्नी के ही तरह रहते थे। मैंने उसकी मांग भी भरी थी और मंगलसूत्र भी पहनाया था।
इस कार्य करने के पश्चात सेक्स करने का मजा ही कुछ और आता है। कीर्ति और मैं अकेले होने पर चूमा-चाटी और मैं उसकी चुच्ची दबा लिया करता था।
अब मैं कीर्ति को प्यार करने लगा था। और कीर्ति भी मुझे सिद्धार्थ से ज्यादा प्यार करती थी। सिद्धार्थ उसकी मजबूरी बन गयी थी। लेकिन हमें अभी कोई भी परेशानी नहीं थी।
हम अपना काम करके बाहर आए और मार्किट के लिए गए तथा मार्किट का काम करके वापिस घर आ गये। उस रात को मैंने और कीर्ति की दो बार चूत मारी।
अगले दिन कीर्ति के घर वालों को मार्किट जाना था तो कीर्ति के भाभी जिनका नाम श्वेता था, उन्होंने कहा कि अमित जी, कीर्ति! मार्किट चलना है? तो मैंने कहा कि मेरा मन नहीं है।
श्वेता ने कहा- ठीक है कीर्ति तुम चलो।
कीर्ति ने कहा- भाभी! कल ही काफी थक चुकी है आज मेरी तबियत भी ठीक नहीं है तो आप और घर वाले ही चले जाओ।
इसके बाद सभी मार्किट के लिए बाहर निकले। उनके बाहर जाते ही मैंने कीर्ति को अपनी बाहों में भरकर चूमा, उसकी चुच्ची को दबाने लगा और मैंने उसके कमीज के सारे बटन खोल दिये और वह ऊपर से सिर्फ़ काले रंग की ब्रा में ही थी और मैं उसको किस किये जा रहा था।
कीर्ति ने कहा- दरवाजा तो बन्द कर लो कोई आ जायेगा!
तो मैंने कहा कि सभी तो मार्किट गये है कोई नहीं आयेगा।
मैंने इतना कहा ही था कि कीर्ति की भाभी श्वेता हमारे सामने खड़ी थी। श्वेता को देखकर हम दोनों पागल हो गये।
श्वेता थोड़ी देर देखकर बोली- कीर्ति यह क्या है?
कीर्ति ने कहा- भाभी प्लीज़! आप यह किसी को भी नहीं बताना नहीं तो कहा बात बिगड़ जायेगी!
श्वेता ने कहा- सिद्धार्थ तुमारे साथ सेक्स नहीं करते क्या?
कीर्ति ने कहा कि वह तो ज्यादातर घर के बाहर ही होते हैं और मेरा मन भी करता है और मुझे अमित काफी अच्छा लगता है, मैं अमित को प्यार करती हूँ । अमित मुझे पूरा सेक्स का मजा दिलाता है सिद्धार्थ के मुकाबले अमित बहुत अच्छा सेक्स करता है।
तो श्वेता ने कहा- अमित! तुम मेरी ननद के साथ कैसे सेक्स करते हो जो कीर्ति ने सिद्धार्थ को भी नहीं देखा।
मैंने कहा- भाभी गलती हो गयी अब माफ भी कर दो।
तो श्वेता ने कहा कि आज मुझे भी दिखाओ कि तुम सेक्स कैसे करते हो?
मैंने कहा कि मैं यह नहीं कर पाऊँगा।
कीर्ति ने कहा- भाभी आप यह क्या कह रही हो?
मैं अमित से प्यार करती हूँ!
श्वेता ने कहा- कीर्ति तुम तो मजा लेती हो, आज मुझे भी मजा लेने दो, तुम्हारे भाईया भी सेक्स का मजा नहीं दे पाते हैं।
कीर्ति को कुछ बुरा लगा। लेकिन श्वेता की बात सुनकर मेरा मन श्वेता की चूत मारने का होने लगा।
तो मैं कीर्ति को एक कमरे में ले गया और कहा कि कीर्ति देख! तुम्हारी भाभी ने हमें देख लिया है और वह किसी को कुछ बता न दे इसलिए हमे श्वेता के साथ भी काम करना होगा और शादी के बाद हमें यहाँ से चले ही जायेंगे।
कीर्ति ने थोड़े गुस्से से ही हाँ की। कीर्ति मुझे अपने पति के तरह मानती थी इसलिए कीर्ति मुझे अपनी भाभी के साथ सेक्स करते नहीं देखना चाहती थी। लेकिन कीर्ति की मजबूरी थी और मेरी इच्छा पूर्ति।
हमने कहा- ठीक है आज रात को।
तो श्वेता ने कहा कि अभी।
और श्वेता बाहर गयी और घर के सदस्यों से बोली कि मुझे घर पर ही कुछ काम है आप लोग चले जाओ।
तो उन्होंने कहा कि हम रात तक ही आयेंगे, खाना बना लेना।
इसके बाद सभी चले गये। मैं और श्वेता उसके बैडरूम में गये और श्वेता ने कहा कि अभी रूको मैं आती हूँ। तब कीर्ति थोड़ी गुमसुम थी, मैंने कीर्ति को किस किया और कहा कि दो तीन दिन की बात है फिर हम और तुम ही है।
थोड़ी देर में श्वेता आई और कीर्ति बाहर चली गई।
मैंने श्वेता से कहा- भाभी जी! तो श्वेता ने कहा कि मुझे श्वेता कहकर बुलाओ।
तो मैंने कहा- ठीक है। फिर श्वेता को मैंने उठाकर बैड पर लिटा दिया और मैं उसके शरीर के ऊपर आ गया। उसने लालं रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी।
मैं उसके लाल लाल होंठों पर जोर से किस करने लगा उसकी होंठों की लपस्टिक मेरे होंठों पर भी लग गई। और मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ चारों तरफ घुमानी शुरू कर दी।
श्वेता का शरीर ऊपर नीचे हो रहा था। मैं उसके बलाऊज के ऊपर से ही उसकी चुच्ची को दबाने लगा और अपने मुंह में लेने लगा, तो श्वेता बोली कि कीर्ति सच्ची कह रही थी कि तुम सेक्स अच्छा करते हो। तुमने तो बिना चूत मारे ही मुझे गीला कर दिया।
उसके बाद मैंने धीरे-धीरे श्वेता की साड़ी को खोल दिया और श्वेता ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये। अब श्वेता बलाऊज और पेटीकोट में ही थी।
फिर मैंने उसके बलाऊज भी उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसकी चुच्ची को चूमने लगा।
उसकी ब्रा में से भी उसकी चुच्ची का ऊपर का हिस्सा बाहर आ रहा था मैंने उसको भी चूमा और उसकी ब्रा को भी खोल दिया तो श्वेता बोली कि अमित अब रहा नहीं जा रहा जल्दी करो।
तो मैंने कहा- श्वेता अभी तो काफी समय है। उसके बाद उसके पेटकोट का नाड़ा भी खोल दिया। फिर मैं उसके शरीर को चूमने लगा मैंने श्वेता से कहा कि तुम मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेना चाहोगी?
उसने कहा- क्यों?
मैंने कहा कि सेक्स में अच्छा लगता है और शरीर में गर्मी आती है।
तो उसने कहा ठीक है। मैं उसके मुँह में अपने लण्ड को आगे पीछे करने लगा तो उसे भी आनन्द आया तो श्वेता बोली कि क्या कीर्ति भी इस तरह सेक्स करती है?
मैंने कहा कि कीर्ति मेरी पत्नी की तरह है और सभी प्रकार से सेक्स करती है। उसके बाद मैंने श्वेता से कहा कि मैं तुम्हारी गांड मार सकता हूँ?
तो उसने कहा- दर्द होगा।
मैंने पूछा- तुमने पहले गाण्ड मरवायी है क्या?
उसने कहा- नहीं।
तो मैंने कहा कि आज मैं तुम्हें ग़ाण्ड मरवाने का मजा देता हूँ।
फिर मैंने कीर्ति को अवाज लगाई और कहा- कीर्ति! जरा तेल लेकर आ जाओ।
कीर्ति तेल लेकर आयी तो कीर्ति नाराज नहीं थी। मैंने कीर्ति से कहा कि तुम भी यहीं पर रहो।
उसने कहा- मैं खाना बना लेती हूँ, इतने तुम भाभी के साथ काम करो। फिर हम दोनों आराम से करेंगे।
मैंने कीर्ति के होंठों पर किस किया और उसकी चुच्ची को हल्के से दबाया। उसके बाद कीर्ति किचन में चली गयी।
श्वेता के चूतड़ काफी बड़े और गोरे थे। मैंने उसके चूतड़ों पर हल्के हल्के हाथ घुमाना शुरू कर दिया और श्वेता को आनन्द आने लगा।
श्वेता ने मेरे लण्ड पर काफी तेल लगाया, मैंने श्वेता के गाडं के छेद पर तेल लगाया, उसको कुतिया की तरह बैठाया। उसकी गाण्ड के छेद पर अपना लण्ड लगाया और लण्ड उसकी गाण्ड में जगह बनाता हुआ अन्दर जाने लगा लेकिन श्वेता को काफी दर्द हो रहा था।
उसने कहा- काफी दर्द हो रहा है लेकिन तुम करते रहो।
अब मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में था। फिर मैं धीरे-धीरे अपने लण्ड को बाहर निकालता और फिर अन्दर करने लगा। और रफ़्तार बढ़ने लगी। 20-25 झटको के बाद श्वेता बोली कि अमित अब सहन नहीं होता, अब मेरी चूत में डालो।
फिर मैंने उसे सीधे लिटाया और मैंने श्वेता से कोंडम के लिए कहा तो उसने कहा कि मैंने पहले से ही रखा है।
उसने मेरे लण्ड को मुँह में लिया और जब लण्ड पूरा टाईट हो गया तो उसने डोट वाला कोडम मेरे लण्ड पर लगा दिया। फिर मैंने उसकी चूत में लण्ड डाल दिया।
मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में चला गया क्योंकि उसकी चूत पहले से ही गीली हो गई थी। मैं उसकी चुदाई करता रहा। और उसके बाद 25 मिनटो तक पूरा कमरा छप छप की आवाज से गूंजने लगा और फिर मैं झड़ गया तब तक श्वेता भी लगभग तीन बार झड़ चुकी थी।
श्वेता ने तुरन्त ही कोंडम को उतार दिया और मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर साफ किया उसका लण्ड साफ करना था और मेरा लण्ड फिर से चूत मारने के लिए तैयार हो गया।दूसरी औरतों के साथ काम करने में मजा भी कुछ ज्यादा ही आता है ना दोस्तो।
फिर मैंने उसे कहा कि श्वेता तुम कुतिया की तरह बैठ जाओ। तो श्वेता ने कहा कि अभी तो रूक जाओ। मैंने कहा कि नहीं तो वह बैठ गयी।
मैंने एक ही झटके में श्वेता की चूत लंड डाल दिया। और 20-25 मिनटों तक चोदता रहा श्वेता को। उसके बाद फिर कीर्ति आ गई और हमें रात भर चोदकर खूब मज़े किए।