नौकरानी को दिया अपना लंड

दोस्तो, मेरा नाम नवीन हैं। आज मैं आप सब को एक चुदाई की कहानी बताने वाला हूँ। मेरे घर में एक दिन एक नौकरानी काम करने के लिए आई।

वह बहुत ही खूबसूरत थी। सुन्दर होने के साथ-साथ वह सेक्सी भी लग रही थी। उसका फीगर 33-26-34 का था वह शादीशुदा भी थी।

उस नौकरानी को देखकर मैं उसके पति के बारे में सोचने लगा उसका पति कितना किस्मत वाला हैं कि जिसके पास ऐसी सेक्सी बीवी है। मुझे पूरा यकीन था कि वह साला इस सेक्सी नौकरानी को खूब चोदता होगा।

उसके बूब्स ऐसे थे कि देखते ही मन करता था बस यहीं पर दबा दो इनको। वह अपनी चूचियों को साड़ी से कितना भी ढकने की कोशिश करती लेकिन उसके बूब्स कहीं न कहीं से बाहर आकर दिखाई देने लगते थे।

वह बहुत कोशिश करने के बाद भी अपनी चूचियों के ऊपर की दरार को छिपा नहीं पाती थी। जब मैंने उसकी दरार को तिरछी नजर से देखा तो पता चला कि उसने तो अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी।

जब वह ठुमकती हुई चलती थी तो उसके चूतड़ हिलते थे और हिलते हुए ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हों कि मुझे पकड़ो और दबा दो।

अपनी पतली सी शिफॉन की साड़ी को जब वह चूत के पास से पकड़ कर संभालती हुई चलती थी तो मन करता था कि काश मैं भी इसकी चूत को देख पाऊं, काश मैं इसके बूब्स को दबा सकूँ, काश मैं इसकी चूचियों को चूस सकूँ।

साथ ही साथ मेरा बहुत दिल करता था कि मैं इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मजा ले सकूँ इसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोद सकूँ मेरा लंड भी मानता ही नहीं था।

उसकी चूत में घुसने के लिए मेरा लंड बेकरार रहता था। मगर मैं सोचता था कि मेरा ये सपना पूरा हो तो हो कैसे? वह साली तो मेरी तरफ देखती भी नहीं थी। वह बस अपने काम से ही मतलब रखती थी।

काम करने के बाद ठुमकती हुई वापस चली जाती थी। मैंने भी कभी उसको अहसास नहीं होने दिया कि मेरी नज़र उसकी चूत पर है और मैं उसको चोदने के लिए इतना बेताब रहता हूँ।

मगर मुझे किसी न किसी तरह उसकी चूत को चोदना ही था। मैंने सोच लिया था कि इसको किसी न किसी तरह गर्म करके ही यह सब संभव हो सकता है।

कुछ दिन के बाद मैंने उसके साथ बहाने से बातें करना शुरू कर दिया. उसका नाम था शीला मैंने एक दिन उसको चाय बनाने के लिए कह दिया।

जब उसने अपने नर्म हाथों से मुझे चाय पकड़ाई तो मेरा लंड तो जैसे उछल ही गया। मैंने चाय पीते हुए उससे कहा, तुम तो चाय बहुत अच्छी बना लेती हो उसने कहा, हां, साहब चाय तो मैं बना ही लेती हूँ।

उसके बाद मैंने शीला से हर रोज ही चाय बनवाना शुरू कर दिया। फिर एक दिन जब मैं ऑफिस जा रहा था तो मैंने शीला को अपनी शर्ट प्रेस करने के लिए दे दी। मैंने कहा- तुम तो प्रेस भी अच्छी कर लेती हो।

इस तरह से जब मेरी बीवी मेरे आस-पास नहीं होती थी तो मैं शीला से बातें करना शुरू कर देता था।
मैंने पूछा, शीला तुम्हारा पति क्या करता है? वह बोली एक मिल में काम करता है मेरा आदमी।

मैंने कहा, कितने घंटे की नौकरी होती है उसकी? उसने कहा 10-12 घंटे तो लग ही जाते हैं और कई बार तो रात को भी ड्यूटी लगा देते हैं।

मैंने कहा, तुम्हारे बच्चे कितने हैं? उसने शर्माते हुए जवाब दिया अभी तो मेरे पास एक लड़की ही है 3 साल की।

मैंने पूछा तो क्या तुम उसको घर में अकेली ही छोड़कर आ जाती हो? उसने कहा- नहीं, मेरी सास है. वह उसकी देखभाल कर लेती है। मैंने पूछा, तुम कितने घरों में काम करती हो?

उसने कहा, साहब, बस एक आपके घर में काम करती हूँ और एक नीचे वाले घर में काम करने जाती हूँ।

मैंने फिर पूछा तो क्या तुम दोनों का गुजारा हो जाता है? उसने कहा, साहब हो तो जाता है लेकिन….. बड़ी मुश्किल से ही काम चल पाता है। .मेरा आदमी शराब में बहुत सारे पैसे बर्बाद कर देता है।

अब मेरे काम की बात यहाँ से शुरू हो गई थी। मैंने उससे कहा ठीक है, कोई बात नहीं, अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ।

शीला ने मुझे अजीब सी नजरों से देखा। उसने कहा, क्या मतलब है आपका? मैंने कहा अरे, मेरा मतलब है कि तुम अपने आदमी को मेरे पास ले आओ, मैं उसको समझा दूंगा।

उसने कहा ठीक है साहब। इस तरह हम दोनों के बीच ये बातों का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और धीरे-धीरे बातों के सहारे मैंने शीला के मन में से उसकी झिझक को कम करने की कोशिश की।

एक दिन मैंने शरारत भरे लहजे में कहा, तुम्हारा आदमी तो पागल ही होगा इतनी सुंदर बीवी होते हुए भी वह शराब पीता है।

दोस्तो, औरतें काफी समझदार होती हैं। शीला भी मेरा इशारा शायद समझ गई थी लेकिन उसने अपनी नाराजगी का मुझे जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया।

वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है मगर अंधेर नहीं है. एक दिन मेरे पास भी मौका आ ही गया।

रविवार का दिन था। मेरी बीवी एक दिन पहले ही मायके चली गई थी. वह हमारे दोनों बच्चों को भी साथ में लेकर गई थी।

मेरे बीवी ने कहा था कि अगर शीला आए तो घर का काम ठीक से करवा लेना। सुबह से ही मेरे मन लड्डू फूटने लगे थे और मेरा लंड फुदकने लगा था. मैं बार-बार शीला के बारे में ही सोच रहा था।

कुछ देर के बाद शीला घर में आ गई। उसने दरवाजा बंद कर दिया और अपने काम पर लग गई। इतने दिनों की बात-चीत के बाद हम दोनों अब आपस में काफी खुल भी गए थे।

शीला को मेरे ऊपर भरोसा भी हो गया था इसलिए शायद उसने मेरे बिना कहे ही दरवाजा बंद कर दिया था। मैंने सोचा कि अगर आज मैंने पहल नहीं की तो यह फिर कभी हाथ नहीं आएगी बात मेरे हाथ से निकल जाएगी।

फिर मैंने सोचा कि पहल मैं करूं कैसे? फिर दिल में ख्याल आया कि पैसे की बात ही कर लेता हूँ।
मैंने कहा, शीला अगर तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना। जरा सा भी झिझकना नहीं
शीला ने कहा- साहब, क्या आप मेरी पगार काटने वाले हैं?

मैंने कहा, अरे नहीं अगर तुझे कुछ और पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ। .

मैं इस बारे में अपनी पत्नी को भी कुछ नहीं बताऊंगा लेकिन एक वादा तुमको भी करना होगा कि तुम भी इस बारे में मेरे बीवी से कुछ नहीं कहोगी।

इतना कहकर मैं शीला के जवाब का इंतजार करने लगा। शीला ने कहा मैं क्यों बताने लगी आपकी बीवी को?

उसके मुंह से यह जवाब सुनकर मैं खुश हो गया। मेरा तीर एकदम सही निशाने पर जाकर लगा था। मैंने कहा, तुम खुश हो जाओ अब। वह बोली हां साहब, इससे मुझे काफी आराम हो जाएगा।

मैंने कहा- शीला मैंने तुम्हें खुशी दे दी क्या तुम नहीं चाहती कि मैं भी खुश हो जाऊं?
कहते हुए मैंने शीला के हाथ में पांच सौ रुपये का नोट थमा दिया।

शीला ने पूछा- क्या करना होगा मुझे साहब?
मैंने कहा- पहले तुम अपनी आंखें बंद कर लो अगर तुमने आंखें खोल दीं तो तुम शर्त हार जाओगी।

मेरे कहने पर शीला ने आंखें बंद कर लीं और मेरे सामने ही खड़ी रही। मैंने देखा कि शीला के गाल लाल हो रहे थे और उसके होंठ कांपने लगे थे।

मैंने फिर कहा जब तक मैं ना कहूँ तब तुम्हें अपनी आंखें नहीं खोलनी हैं।
वह बोली- ठीक है साहब।

शीला शरमा रही थी और वहीं पर चुपचाप खड़ी हुई थी। उसने अपने दोनों हाथों को अपनी जवान चूत के सामने लाकर बांध रखा था जैसे उसको छिपाने की कोशिश कर रही हो।

पहले मैंने शीला के माथे पर हल्का सा चुम्बन किया। अभी तक मैंने उसको अपने हाथों से नहीं छुआ था। वह चुपचाप आंखें बंद करके खड़ी हुई थी।

फिर मैंने उसकी पलकों पर हल्के से चुम्बन किया. उसकी आंखें अभी भी बंद ही थीं। फिर मैंने आहिस्ता से उसकी आंखों को चूमने के बाद उसके गालों को भी धीरे से चूम लिया।

इतनी ही देर में मेरा लंड तन गया था और मेरे कपड़ों के अंदर लोहे की तरह सख्त होकर खड़ा हो गया था।

अबकी बार शीला ने अपनी आंखें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने उसको पहले ही बोल दिया कि अगर उसने आंखें खोलीं तो वह शर्त हार जाएगी और इसलिए अभी अपनी आंखों को बंद ही रखे. उसने झट से आंखें बंद कर लीं।

अब मैं भी समझ गया था कि उसको तैयार करने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। अब मुझे बस उसको तैयार करना था, उसकी चूत की चुदाई का मजा लेना था।

अबकी बार मैंने उसके कांपते हुए होंठों पर एक किस कर दिया। मैंने अभी भी उसको अपने हाथों से टच नहीं किया था। उसके बाद शीला ने फिर आंखें खोलीं और मैंने अपने हाथों से ही उसकी पलकों को बंद कर दिया।

अब मैं थोड़ा और आगे बढ़ा, मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर अपनी कमर के दोनों तरफ रखवा दिया।

फिर मैंने शीला को अपनी बांहों में लपेट लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसको चूसने लगा। उसके होंठ नहीं बल्कि शराब के प्याले थे।

उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिरने लगे थे। इधर मैं उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पीने में लगा हुआ था। बहुत मजा आ रहा था. मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।

तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां मेरे सीने पर दबाव बना रही हैं। उसकी चूचियां तनकर टाइट हो चुकी थीं।

फिर मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और शीला को अपनी तरफ खींचते हुए उसके होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया। उसकी चूचियां तो जैसे मलाई थी।

अब मेरा लंड बहुत जोर से फुदकने लगा था। फिर मैंने शीला के चूतड़ों अपनी तरफ खींच कर अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया। मेरा लंड उसके बदन से सट गया। मैं शीला के बदन पर अपने लंड को महसूस करवाना चाहता था।

शीला ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी। उसके ब्लाउज के बटन पीछे की तरफ थे। मैंने अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसके ब्लाउज के बटन को टटोला और फिर आराम से उनको खोलना शुरू कर दिया।

मैंने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हुए उसके ब्लाउज के बटनों को खोलकर उसके ब्लाउज को उतार फेंका। उसकी चूचियां तो पहले से ही तनी हुई थीं इसलिए खोलते ही उछल कर मेरे हाथों में आ गईं।

उसकी चूचियां वैसे तो कड़क थीं लेकिन मलाई की तरह मुलायम भी थी। फिर मैंने उसकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया।

मैंने हल्के से उसकी साड़ी को खींचते हुए शीला को अपने बेड की तरफ ले जाना शुरू कर दिया। जब मैं उसको लेकर बेड के पास पहुंच गया तो मैंने उसको वहां पर आराम के साथ लिटा दिया।

मैंने कहा- शीला , अब तुम आंखें खोल सकती हो। शीला ने कहा, आप बहुत ही रसीले हो साहब। यह कहकर शीला ने फिर से आंखें बंद कर लीं।

मैंने भी झट से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। जल्दी ही मैं भी नंगा हो गया।

मेरा लंड उछल-उछल कर दर्द करने लगा था। मैंने उसके पेटीकोट को जल्दी से खोला तो देखा कि उसकी चूत बिल्कुल नंगी थी। उसने नीचे चड्डी भी नहीं पहनी हुई थी।

मैंने कहा- शीला , तुम्हारी चूत तो बिल्कुल नंगी है. क्या तुम चड्डी नहीं पहनती हो?
उसने मेरी इस बात का जवाब दिये बिना ही कहा- साहब, बहुत रौशनी आ रही है। पर्दे बंद कर दो ना।
मैंने उठकर पर्दों को खींच दिया और रूम में थोड़ा अंधेरा हो गया। उसके बाद मैं तुरंत वापस आकर शीला के ऊपर लेट गया।

मैंने शीला के होंठों कस कर चूम लिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा। फिर मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया। उसकी चूत पर घुंघराले से बाल थे। मुझे उसकी चूत के बाल बहुत अच्छे लग रहे थे।

फिर मैंने उसकी चूची को मुंह में ले लिया और उसको पीने लगा। बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे.
उसके बाद मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत की दरार पर लगा दिया।

फिर उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी चूत में मेरी उंगली ऐसे घुस गयी जैसे मक्खन में छुरी घुस जाती है। उसकी चूत बहुत गर्म और गीली हो चुकी थी।

उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलना शुरू हो गई थीं उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मस्ती से भर रही थी।

मैंने कहा- शीला रानी, अब क्या करना है? वह बोली- साहब, अब और मत तड़पाइये। अब बस कर दीजिए। मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं, जान कहकर बुलाओ।

उसने मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा- साहब कर दीजिए, अब मत तड़पाओ। मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं।

वह बोली- साहब डाल दो न।
मैंने कहा- क्या डाल दूँ? मैंने शरारत करते हुए पूछा।

मुझे उसके मुंह यह सब सुनना बहुत मजा दे रहा था। वह बार-बार डालने की बात कह रही थी लेकिन मैं उसके मुंह से पूरी बात सुनना चाहता था।

वह बोली- यह लंड मेरे अंदर डाल दो ना साहब …

उसने मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिये। मैंने भी उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
मैंने कहा- हाँ, मेरी रानी, अब यह लंड तुम्हारी चूत में अंदर जाएगा. कहो तो चोद दूँ तुमको?
वह बोली- हाँ साहब, मुझे चोद दीजिए।

शीला काफी गर्म हो चुकी थी। अब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने लंड को रख दिया। एक झटका दिया और लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया।

उसके बाद मैंने अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया। कभी उसके होंठों को, तो कभी उसके गालों को चूमते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया। मैं शीला को चोदने में मशगूल हो गया।

मेरा मन कर रहा था कि उसको चोदता ही रहूँ, वह भी मेरे लंड से उछल-उछल कर चुदवा रही थी।

उसने कहा- साहब, आप तो बड़ी ही मस्त चुदाई कर रहे हैं. आह्ह् … आप बस मुझे चोदते ही रहिए. मुझे बहुत मजा आ रहा है ओह्ह …

धीरे-धीरे शीला के हाथ मेरी पीठ पर कसने लगे थे। उसने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों पर लपेट दी थीं।

साथ ही साथ वह नीचे से अपनी गांड को भी उछाल रही थी. वह चुदवा रही थी और मैं मजे से उसको चोद रहा था।

मैंने कहा- शीला रानी, तुम्हारी यह चूत तो मेरे लंड से चुदने के लिए ही बनी है। बहुत ही मस्त चूत है तुम्हारी। बहुत मजा दे रही है।

बता ना, कैसी लग रही है मेरी चुदाई. मेरे लंड को लेकर कितना मजा आ रहा है मेरी रानी?

वह बोली- आप बस चोदते रहिए. बहुत मजा आ रहा है. आह्ह् … ओह्ह .. उफ्फ … उम्म …

इस तरह से हम दोनों बातें करते हुए बहुत देर तक चुदाई का मजा लेते रहे। उसके बाद अचानक ही हम दोनों एक साथ झड़ गए। लेकिन मेरा मन तो अभी भी नहीं भरा था।

20 मिनट के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसके मुंह में डाल दिया और उसको चुसवाने लगा।

अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थेv जब वह लंड चूस रही थी तो मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था।

बल्कि दूसरी बार तो उसको चोदने में और भी ज्यादा मजा आया मुझे इतना मजा आया कि मैं बता ही नहीं सकता। इस बार लंड ने भी मेरा बहुत देर तक साथ दिया।

मेरे लंड को झड़ने में बहुत समय लगा. मैं उसको भरपूर मजा देता रहा फिर जब हम थक गए तो वह अपने कपड़े पहनने लगी।

मैंने कहा- शीला रानी, अब तुम चुदवाती रहना मुझसे। वह बोली- आपने तो बहुत मस्त चुदाई की है साहब।

मैं तो अब आपके ही लंड से चुदवाती रहूंगी चाहे आप मुझे पैसे भी मत देना लेकिन अपने लंड से ही मेरी चूत को चोदना। इस तरह से मैंने नौकरानी की चूत को अपने लंड का मज़ा दिया।

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