दोस्तो, मेरी इस कहानी के पिछले भाग मेरी दीदी सेक्स की प्यासी-1 में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने दीदी को अपने और सुनील के साथ सेक्स के लिए राज़ी किया।
अब मैं झड़ चुका था पर दीदी को गर्म करना भी जरूरी था। मैं तो अब दीदी की चूत देखना चाहता था। अब मैंने दीदी की सलवार खोल दी।
दीदी ने काले रंग की पैंटी पहनी थी। जो कि गीली हो गयी थी। इससे मुझे पता चल गया कि दीदी भी मजे ले रही है और मेरा लण्ड लेने के लिए तैयार हो गई है।
अब मैंने अपनी दीदी की पैंटी भी खोल दी। मेरी दीदी की चूत एकदम साफ थी; चूत पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने दीदी से कहा- दीदी आपकी चूत बहुत प्यारी है। अब समझ में आया कि सुमित आपको इतना प्यार क्यूँ करता है।
अब मैंने दीदी की चूत को सूंघा। दीदी की चूत से बहुत मोहक खुशबू आ रही थी। पहले मैंने दीदी की चूत को अपने हाथों से सहलाया; दीदी की चूत को महसूस किया, फिर मैंने अपनी जीभ निकली और दीदी की चूत में डाल दी और ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर करने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था और दीदी तो उम्म्ह… अहह… हय… याह… अरे … आह … आई … ओह … कर रही थी और मदहोश हो गयी थी। दीदी ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और उस पल का आनंद ले रही थी।
10 मिनट तक मैंने दीदी की चूत चाटी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरा लौड़ा फिर से सलामी देने लगा था। अब मेरा लण्ड निशा दीदी की गुफ़ा में जाने के लिए बेसब्र था।
मैंने दीदी की तरफ देखा तो दीदी मेरी तरफ देख रही थी। दीदी सेक्स के आतुर दिख रही थी. ये वो पल था जिसका मैं सालों से इंतज़ार कर रहा था। अब मैंने अपना लण्ड दीदी की प्यारी सी चूत पर रखा और रगड़ा। इससे दीदी और मैं मदहोश हो गए।
दीदी ने अपनी आँखें बंद कर दी और मेरे लौड़े के उनकी चूत के अंदर जा के तबाही मचाने का इंतज़ार करने लगी। मैंने भी पूरी ताकत से ज़ोर का झटका मारा और आधा लण्ड पहली ही बार में अंदर चला गया और दूसरे धक्के में पूरा लण्ड अंदर चला गया।
उस समय ऐसा महसूस ही रहा था जैसे ज़िन्दगी की सारी ख्वाहिशें पूरी हो गयी हों। मैं तो एकदम पागल हो गया और ज़ोर ज़ोर से दीदी की चूत में धक्के मारने लगा।
हालांकि मैं पहले भी 1-2 बार चुदाई कर चुका था पर अपनी दीदी को चोदने का मज़ा कुछ और ही होता है दोस्तो।
मैं इतनी जोर ज़ोर से दीदी की चूत मार रहा था कि सारे कमरे में ‘पट-पट’ की आवाज़ आ रही थी दीदी को इतना दर्द हो रहा था कि वो मुझे अपने ऊपर से हटाने के लिए धक्का मारने लगी।
दीदी की चीख निकलने वाली थी पर मैंने दीदी के हाथ पकडे और दीदी के मुंह पर रख कर ज़ोर से दबा दिया ताकि दीदी की आवाज हमारे मकान मालिक को न सुनाई दे जाए।
इतनी ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने से दीदी की चूत लाल हो गयी थी। दीदी को इतना दर्द हो रहा था कि दीदी रोने लगे गयी थी और मुझे खुद से दूर करने कि कोशिश कर रही थी।
मुझे पता था कि दीदी को बहुत दर्द हो रहा है पर मैं रुकना नहीं चाहता था। मैं इस मजे को खोना नहीं चाहता था।
20 मिनट तक मैंने दीदी को चोदा और दीदी की चूत में ही झड़ गया और दीदी के ऊपर ही तक कर लेट गया।
अब दीदी का मुंह भी खुल गया। मुंह खुलते ही दीदी ज़ोर ज़ोर से दर्द से रोने लगी।
तब मैं दीदी के ऊपर से हटा और दीदी की चुप करने लगा। मैंने कहा- दीदी रोओ मत, नहीं तो कोई आ जायेगा।
तब दीदी थोड़ा चुप हुई और सिकुड़ कर बैठ गयी और दबी हुई आवाज में रोने लगी।
मैंने कहा- दीदी माफ़ कर दो, वो गलती से हो गया। आप चिन्ता मत करो, मैं कल सुनील से दवाई मंगवा लूंगा। आप डरो मत! तो दीदी मान गयी और चुप हो गयी।
मैंने तभी दीपक को मेसेज कर दिया दवाई लाने के लिए!
अब हम दोनों बिस्तर पर नंगे ही लेटे थे। दीदी ने अपनी चूत अपनी पैंटी से साफ़ की और लेट गयी।
तभी मैं उठ गया और सामने से तेल के बोतल उठा के लाया और दीदी से कहा- मैं आपकी मालिश कर देता हूँ।
मैंने दीदी की मालिश करते हुए कहा- दीदी, आपको यकीन नहीं होगा पर मैं आपको बहुत पहले से चोदना चाहता था और आज वो इच्छा पूरी हो गयी है। आज आपको चोद कर मेरा दीदी सेक्स का सपना पूरा हो गया। इस पर दीदी ने कुछ नहीं कहा।
मैं दीदी की मालिश करता रहा; पहले स्तनों की और बाद में चूत की भी।
अब मैंने दीदी को उल्टा होकर घोड़ी बनने को कहा तो दीदी जल्दी ही मान गयी. क्यूंकि दीदी को पता था कि मेरा लौड़ा फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया है।
फिर मैंने दीदी की चूत और गांड पर बहुत सारा तेल लगाया। फिर मैंने अपने लौड़े पर भी तेल लगाया।
अब मैंने तेल की बोतल को पास में रखा और अपने लौड़े को निशा दीदी की गांड पर रख दिया और अंदर डाल दिया।
तेल की वज़ह से मेरा बादशाह दीदी की गांड की गुफ़ा में जल्दी ही चला गया। अब की बार मैंने दीदी की गांड आराम से मारी पर वीर्य गांड में ही डाला। उस रात मैंने दीदी को 4 बार चोदा।
सुबह लगभग 11:30 बजे हमारा दरवाजा किसी ने खटखटाया।
दीदी इतनी थक गयी थी कि दीदी को दरवाजे की आवाज सुनाई ही नहीं दी। तो मैं जल्दी उठा और कपड़े पहन कर दरवाजा खोला तो देखा कि मेरा दोस्त दीपक आया था और उसके साथ मेरा एक और दोस्त राहुल भी था।
मैंने दोनों को अंदर बुलाया। उसने कहा, दीपक और राहुल भी चाहते है कि ये भी इस मनोरंजन का हिस्सा बनें।
मैंने कहा- यार, ये कैसी बात हुई मैं कैसे सबसे अपनी दीदी को चुदवा सकता हूँ?
सुन- यार देख, एक बार ही की तो बात है। मैं तुझसे वादा करता हूँ कि ये एक ही बार तेरी दीदी को चोदेगा और मैं भी एक ही बार तेरी दीदी की चुदाई करूँगा।
मैंने सोचा कि ये सही है। अपने सभी दोस्तों को एक एक बार दीदी से सेक्स करने देता हूँ। अगर मैं मना कर देता तो दीपक हर रोज़ मेरी दीदी को चोदता।
तो मैंने कहा- ठीक है। आज की दीदी की चुदाई जम के कर देना और बाद में यहाँ से चले जाना।
तुम लोग यहीं रुको को दीदी को सब समझाता हूं और मना के लाता हूँ।
जैसे ही मैं अंदर गया तो मैंने देखा कि दीदी उठ गई है और दीदी ने सब सुन लिया है। जैसे ही मैं कुछ बोलता दीदी ने ही बोल दिया- मैंने सब सुन लिया है। मैं तैयार हूँ। वैसे भी इसके बाद इन सब से पीछा तो छूटेगा। मनीष , उनको अंदर आने को बोल दो।
मैं तो अंदर से खुश हो गया कि दीदी बिना बोले ही मान गयी। मैं बाहर गया और दीपक और राहुल को अंदर आने के लिए बोल दिया।
जैसे ही वो अंदर आये तो उन लोगों ने देखा कि दीदी पहले से ही नंगी बिस्तर पर बैठी हुई है।
वो दोनों तो खुश हो गए और वो सीधे ही दीदी के पास जा के बैठ गए और दीदी की चूत और स्तनों को सहलाने लगे।
मेरे सामने मेरी सगी दीदी को मेरे दोस्त चोद रहे हैं ये सब मैं नहीं देखना चाहता था तो मैं बाहर चला गया और उनसे कहा- ज्यादा आवाज़ मत करना, नहीं तो कोई आ भी सकता है।
इतना कह कर मैंने दरवाजा बन्द कर दिया और वो अंदर दीदी को चोदने के मजे लेते रहे।
मैंने बाहर देखा कि दीपक एंटी-प्रैग्नेंसी टेबलेट ले आया था।
तभी राहुल बाहर आया और उसने कहा- यार मैं समझ सकता हूँ कि तू अपनी दीदी को ऐसी हालत में नहीं देख पायेगा। इसलिये तू थोड़ी देर बाहर घूमने चला जा।
मैंने सोचा कि राहुल ठीक ही बोल रहा है। इसलिए मैं 2 घण्टे के लिए बाहर चला गया।
2 घण्टे बाद मुझे दीपक का फ़ोन आया और उसने कहा- हम लोग जा रहे हैं और तू आ जा।
तो मैं तुरंत रूम में आ गया।
वापिस आ कर मैंने देखा कि दोनों राहुल और सुनील बाहर बैठे हैं और जाने की तैयारी कर रहे हैं।
मैंने उनसे पूछा- कैसा रहा?
तो उन लोगों ने हंसते हुए कहा- बहुत ज्यादा मज़ा आया भाई। तेरी बहन सच में एक नंबर की रंडी है। हम दोनों ने उसको बहुत अच्छे से चोदा।
मैंने कहा- ठीक है, अब कभी भी दीदी को चोदने के बारे में मत बोलना। अब दीदी को चोदने का हक सिर्फ मेरा है। अब वो लोग मान गए और चले गए।
मैं अंदर दीदी के पास गया तो देखा दीदी बिस्तर पर लेटी हुई है और दीदी के पास 2 कंडोम पड़े हुए थे जो पिछले दिन मैं ले के आया था।
ये देख कर मुझे अच्छा लगा कि उन लोगों ने दीदी को बिना प्रोटेक्शन के नहीं चोदा। मैंने दीदी से कहा- दीदी … क्या सब ठीक है?
दीदी- हाँ, सब ठीक है पर इतनी चुदाई के बाद मेरी उठने की हिम्मत नहीं हो रही है। मैं नहाना चाहती हूँ पर उठने की ताकत नहीं बची है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं आपको बाथरूम में ले जा कर नहलाता हूँ।
इतना कहकर मैंने भी अपने कपड़े खोले और नंगा होकर दीदी को उठाया और बाथरूम में ले गया।
वहाँ मैंने शावर चालू किया और दीदी के बदन पर साबुन लगाने लगा और साथ में खुद को भी साबुन लगाया।
दीदी का भीगा बदन देख कर मेरा मन फिर से दीदी को चोदने का हो गया। पर मुझे पता था कि दीदी की बहुत चुदाई हो गयी है इसलिए मैंने दीदी के मुंह में अपना लण्ड डाला और दीदी के मुंह को चोद दिया।
नहाने के बाद मैंने ही दीदी को कपड़े पहनाये और मैं बाहर से खाना ले कर आया था। हम दोनों ने मिलकर खाना खाया और बाद में मैंने दीदी को वो दवाई दे दी। उसके बाद दीदी ने सारा दिन आराम किया।
रात को दीदी को अजीत का फ़ोन आ गया और दीदी डर के मुझसे कहने लगी- अब क्या करूँ?
तो मैंने कहा- उसको बोलो कि आज आपकी तबीयत खराब है और मनीष मेरे साथ है। इसलिए मैं 4-5 दिन तेरे साथ नहीं आ सकती।
दीदी ने अजीत सब बोल दिया और दीदी अपनी चूत और ज्यादा फड़वाने से बच गयी।
दीदी की चुदाई के बाद भी हम सब दोस्तों ने कई लड़कियों को चोदा था पर मैं उनके साथ ज्यादा नहीं जाता था क्यूंकि मुझे तो घर में ही चुदाई की दुकान मिल गयी थी।
मैंने दीदी को एक साल तक हर रोज़ चोदा है। हम एक साथ एक ही बिस्तर पर सोते थे। मैं रोज़ रात को दीदी की चुदाई करता था और हम दोनों नंगे ही एक दूसरे के साथ सोते थे।
कभी मैं दीदी को बाथरूम में नहाते बार चोदता तो कभी रसोई में खाना बनाते बार तो कभी सफ़ाई करते वक्त। वो एक साल मेरी ज़िन्दगी का बहुत सुन्दर साल था।
उसके बाद दीदी का कॉलेज खत्म हो गया और दीदी गाँव चली गयी और नौकरी की तलाश करने लगी। उसके बाद हम जब भी अकेले में मिलते तो मैं दीदी सेक्स का मजा लेता।
कभी गाँव वाले घर में रात को मैं चुपके से दीदी के कमरे में जाता और मजे ले के वापिस अपने कमरे में वापिस हो जाता था।
कुछ साल बाद दीदी की अजीत से शादी हो गयी और मैं नौकरी लग गया था। समय के साथ हम सब दोस्त दूर हो गए और अब उनसे मिले काफी समय हो गया।
अभी भी शादी के बाद भी जब दीदी अकेली मिलती है तो मैं दीदी की चूत मार लेता हूँ। फर्क बस इतना है कि अब दीदी की चूत नहीं भोसड़ा बन गया है।