मैंने लिया मस्त लंड का मज़ा

मैं रिया जबलपुर से हूँ विजय मेरा पडोसी हैं उसका ड्राइंग रूम और मेरा ड्राइंग रूम आमने सामने हैं मेरा बेड रूम और मेरा किचेन भी आमने सामने है।

जब विजय ड्राइंग रूम में रहता है तो रात को लाइट बंद करके खिड़की पर बैठ कर उसे देखती रहती हूँ कभी कभी वो कपड़े बदलता है तो नंगा भी हो जाता है।

सभी कुछ साफ़ दिखता है वो कोई सीडी देखता है तो उसके हाव भाव और हरकतें देखती रहती हूँ।

पर यही नही, बदले में मैं भी बेडरूम में उसको दिखाने के लिए अपने स्तनों को दबाती हूँ अंगडाई लेती हूँ। सोने से पहले अपने कपड़े पूरे उतार कर सकर्ट और टॉप पहनती हूँ पर वो देखता है या नहीं मैं नहीं जानती हूँ।

एक दिन मैं ऑफिस नहीं गयी थी शाम को विजय मिलने आया मुझे देख कर बोला -तुम्हे बुखार हो रहा है …चलो मै डॉक्टर को दिखा दूँ  वो मुझे जबरदस्ती क्लीनिक पर ले गया. डॉक्टर ने 3 दिन की दवाइयाँ दे दी हम वापस घर आ गए।

मैं तो ख़ुद अपना खाना पकाती थी पर विजय का टिफिन आता था। विजय सामने अपने घर चला गया। थोडी ही देर में विजय ने फिर दरवाजा खटखटाया – मैंने उसे अन्दर बुला लिया वो अपना टिफिन लेकर आया था उसने मुझे खाना खिलाया और फिर बचा हुआ ख़ुद उसने खाया और चला गया।

मैं उसे देखती रह गयी अब वो मुझे सुबह, दिन और शाम को देखने आता था … मेरी पूरी देख रेख करता था दो दिनों में मैं बिल्कुल ठीक हो गयी मैं उसके अहसान से दब गयी पर इस बारे में न वो कुछ कहता … ना मैं ही कुछ कहती। जब मैं खाना बनाती तो उसको जरुर भेजती थी. बाद मैं मैंने उसका टिफिन बंद करवा दिया।

अब वो मेरे घर पर ही खाता था. वो जब किचेन की खिड़की पर होता तो मैं उसे हाथ हिलती और जो भी बनाती उसे बताती. हम दोनों अब बहुत घुल मिल गए थे बल्कि ऐसा लगता था कि हमें एक दूसरे से प्यार हो गया है।

एक बार शाम को मैं बाज़ार से लौटी और कमरे में घुसी तो सामने खिड़की में से  दिखा. वो अपना हाथ से अपने पजामे के ऊपर से लंड को दबा रहा था।

मैंने बत्ती नहीं जलाई और देखती रही और रोमांचित हो उठी. वो बेखबर हो कर कभी लंड को सीधा करता और अपनी मुट्ठी में भर लेता और दबाता।

कभी उगलियों से लंड दबा कर ऊपर नीचे करता. उसने अब अपने पजामे का नाडा खोला और अपने लंड को बाहर निकाला. और देखता रहा।

फिर उसने अपने लंड की चमड़ी ऊपर कर दी. उसका एक तो इतना मोटा लंड फिर लाल लाल मोटी सुपारी … मैं तो सिहर उठी … मेरे बदन में चींटियाँ रेंगने लगी. मैं उत्तेजित हो उठी. मेरे स्तनों में कड़ापन आने लगा. चुंचियां कड़ी होने लगी … उसने तभी अपना रिमोट उठाया और कोई बटन दबाया …

ओह ! तो विजय कोई फ़िल्म देख रहा था … पर कैसी फ़िल्म?

मैं किचन में गयी …पीछे के दरवाजे से मैंने उसका दरवाजा खटखटाया उसने तुंरत ही उठ कर दरवाजा खोल दिया

पर अपने खड़े हुए लंड को नहीं छुपा सका मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी. खड़ा लंड देख कर मैं शरमा गयी वो भी झट से हाथ से छिपाने की कोशिश करने लगा. मैं अन्दर आ गयी इतने में विजय लपक कर आया – “रुक जाओ रिया ..

पर मैं अन्दर आ चुकी थी … उसने सीडी का मैं स्विच ही बंद कर दिया. मैंने ब्लू फ़िल्म की झलक देख चुकी थी. अनजाने बनते हुए पूछा -“कोई अच्छी फ़िल्म थी …बंद क्यूँ कर दी …”

“कुछ नहीं … ऐसे ही …” वो हडबडा गया “कोई काम था क्या …”

“हाँ बर्फ लेने आई थी …”

उसने अपना फ्रीज खोला और ट्रे खाली कर दी. मैंने इतनी देर में उसे छेड़ने के लिए सीडी का स्विच ओन कर दिया. फ़िल्म फिर से चलने लगी विजय ने जल्दी से आकर फिर से बंद कर दी।

रिया मत देखो …ये बडों की फ़िल्म है …

“अच्छा नहीं देखती ..बस … पर खिड़की तो बंद कर लिया करो … फ़िल्म से अच्छा तो वो सीन था ..”

विजय घबरा गया मैं उसे देखती रही।

“मुझे भी दिखा दो ..बड़ों की ये फ़िल्म ..” मैंने फिर से सीडी ओन कर दी …चुदाई के सीन चल रहे थे … मैंने पहली बार ब्लू फ़िल्म देखी थी … मेरे रोंगटे खड़े हो गए … मेरी टांगे काम्पने लगी … मैं वहीं कुर्सी पर बैठ गयी …

“विजय .. ये क्या … हाय रे. …”

“बस देख तो लिया …बंद कर दो प्लीज़ ..”

” प्लीज़ विजय …देखने दो न …” मैंने रिक्वेस्ट की विजय पास ही खड़ा था मैंने उसकी टांग पकड़ ली और अपनी तरफ़ खीच ली।

“विजय ये बड़ों की फ़िल्म नही है …ये तो हम जैसे जवानों के लिए है …देखो तो सही ..”

मैंने पजामे से हाथ ऊपर बढ़ा कर उसके चूतडों को पकड़ लिया .और जोश में अपनी तरफ खींचने लगी. मैं सब कुछ भूलती जा रही थी।

जाने कब उसका लंड मेरे मुंह के करीब आ गया. और मेरे मुंह अपने आप खुलते गए. एक मोटा मोटा नंगा लंड मेरे मुंह में घुसता चला गया।

विजय भी सब कुछ भूल कर अपना लंड बाहर निकल कर मेरे मुंह से सटा दिया मैंने उसके लंड को चूसना चालू कर दिया मैं मस्त हो उठी विजय भी मेरे मुंह में धक्के मरने लगा मैं कुर्सी से उठी और उस से लिपट गयी …

विजय …अब रहा नही जाता है. .प्लीज़ अब कुछ करो न …” मैं बहुत उत्तेजना से भर उठी विजय ने मुझे लिपटा लिया और बेतहाशा चूमने लगा।

मैंने अपने आप को विजय के हवाले करते हुए कहा – “प्लीज़ संजू मुझे चोद दो … देखो मैं कैसी तड़प रही हूँ .”

उसने प्यार से मेरे चेहरे को ऊपर उठाया … और किस करते हुए बोला – “हाँ मेरी जान … अब तुम जरूर चुदोगी .. मेरा लंड …देखो तो फूल कर फट जाएगा

उसने मुझे बाँहों में उठाया और धीरे से बिस्तर पर लेटा दिया. उसने मेरी साड़ी उतार दी फिर प्यार से ब्लाउज उतर दिया, पेटीकोट भी खोल डाला …अब में बिल्कुल नंगी विजय के सामने चुदने के लिए लेटी थी वो मेरे हुस्न को निहार रहा था।

वो भी नंगा था. उसका लंड देखते मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया मैं चुदने के लिए बेकरार हो उठी थी मेरी चूत पानी से तर हो चुकी थी वो मेरे ऊपर सवार हो गया तभी मेरी चूत में कुछ चीरता हुआ अन्दर घुस गया.

मैं तड़प उठी. चूत को ऊपर उठाते हुए बोली – राजा लो …और अन्दर घुसेड दो …” उसने दूसरे झटके में पूरा लंड जड़ तक घुसा दिया. मैं निहाल हो उठी. अब वो मेरी पूरी जवानी को मसल रहा था. मेरे उभरे हुए स्तनों को भींच भींच कर मसल रहा था.

उसकी जवानी और मेरी जवानी टकरा उठी … आग जल उठी … दोनों ऐसे चिपक कर जवानी का मजा ले रहे थे जैसे एक जिस्म हो. चेहरा से चेहरा रगड़ खा रहे थे .फच फच की आवाजें बढती जा रही थी. मस्ती की चीखें जोर पकडती जा रही थी. मेरे चूतड नीचे से तेजी से उछल उछल कर लंड को ले रहे थे. मैं सिस्कारियां …आहें भर रही थी … जाने क्या क्या बोलती जा रही थी. .. “चोद ऐ रे …आ आह्ह … फाड़ दे मेरी चूत … … दे लंड …और दे लंड आ अह्ह्छ मेरे राजा … हाय ..रे …चुद गयी …राजा …”

मेरी उत्तेजना हदें पर कर गयी. और अचानक जैसे ठंडी फुहार बरसने लगी … विजय का मस्ती भरा रस बरसात की तरह फुहारे छोड़ रहा था.

रुक रुक कर मेरे स्तनों पर बरसात कर रहा था. मैं भी अपना रस छोड़ चुकी थी …दोनों का ज्वार उतरने लगा. मैं निढाल हो गयी विजय को मैंने जोर से छाती पर भींच लिया. और उसे साइड में करवट लेकर चिपक कर लेट गयी. हमारी सांसे अब सामान्य होने लगी थी.

विजय ने उठ कर …”रिया खाना खा कर सोना …उठो ..”

मैं हंस पड़ी …”अरे …सोता कौन है … अभी तो सारी रात पड़ी है …”

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