मैंने जीजू से चुदवा ही लिया

मैं 22 साल की शिखा मेरी नौकरी दिल्ली में लग गई थी जीजू ने कोशिश करके लगवा दी थी
मैं अपनी बड़ी बहन के यहाँ रहने लगी।

उन्होंने मुझे घर के पीछे वाला रूम खाली करके दे दिया था जीजू और दीदी दोनों ही नौकरी करते थे। जीजू अकाउंटेंट थे और दीदी एक प्राइवेट हॉस्पिटल में नर्स थी।

कुछ ही दिनों में जीजू भी मेरे से घुल मिल गए थे उनका नाम दिलीप था। मुझे उन्हें देख कर तरह तरह के विचार भी आने लगते थे। मुझे तो वह पहले से ही हैंडसम लगते थे दीदी को नाईट शिफ्ट भी करनी पड़ती थी।

जब हम तीनो घूमने जाते  तो जीजू दीदी का हाथ पकड़ कर चलते कभी कभी मेरे सामने ही दीदी के बूब्स को भी बाहर से सहलाते।

यह देख मेरे मन में भी हलचल होने लगती थी कि कोई मेरे भी गांड की गोलाईयों को भी सहलाये वो कभी कभी मेरा हाथ भी पकड़ लेते।

मैं अक्सर घर पर रात को मैं उनके रूम के पास छुप कर जाती और कुछ सुनने की कोशिश करती मुझे बाहर उनकी आवाजे आती … मुझे भी चुदवाने का बहुत मन करता था।

मैं किसी तरह अपने मन को काबू में रख रही थी मेरी उत्तेजना जब अधिक बढ़ जाती तो मैं उंगली को चूत में डाल कर अन्दर बाहर करके अपना पानी निकल देती थी।

हाथ से करते समय भी जीजू को ही सोच कर अपना पानी निकाल देती थी ।

दीदी की आज नाईट ड्यूटी थी घर के पास बस स्टैंड पर हम तीनों मोटरसाईकल पर दीदी को पहुँचाने गए।

दीदी की बस आने पर वो उसमे चली गई उसी समय बरसात शुरू हो गई हम दोनों भीगने लगे।

वहाँ से भीगते हुए हम दोनों सीधे घर आ गए। भीगने से मेरे कपड़े बदन से चिपक गए थे घर आ कर वो मेरे शरीर के उभारों को आनंद ले कर देखने लगा।

मैं शरमा गई मेरे मुंह से निकल गया..” जीजू, मत देखो न ऐसे…मुझे शर्म आती है…और मैं शरमा कर मेरे रूम में अन्दर भाग गई।

हम दोनों नहा कर फ्रेश हो कर जीजू के कमरे में बैठ गए. जीजू अलमारी से वाइन की बोतल निकाल लाये।

“यार ठण्ड लग रही है…एक पैग पी लेता हूँ…तुम भी थोडी सी ले लो..”

“नहीं..नहीं…” मैं उसकी हरकते नोट कर रही थी. मुझे लग रहा था आज जीजू मूड में हैं. मैंने सोचा आज अच्छा मौका है, पटाने का…

उसने धीरे धीरे पीना चालू कर दिया। कह रहा था – शिखा तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या…”

“हाँ…था..अब नहीं है..”

“अच्छा, वो तुम्हारे साथ कुछ करता था..”

” धत्त…जीजू… मुझे शर्म आती है…”

” मत बताओ…लो थोड़ा सा पी लो…अच्छा लगेगा…”

मैंने सोचा अच्छा मौका है… जीजू समझेगा मैं नशे में हूँ… और नशे में ऐसा कर रही हूँ…

“अच्छा जीजू…थोड़ा ही देना..”

“वाह ये हुई न बात…ये लो ” उसने एक पैग बना कर दिया।

मैंने पीने का नाटक किया. थोडी सी ड्रिंक पास में गिरा दी..और गिलास मुंह से लगा लिया..

कुछ ही देर में जीजू को वाइन चढने लगी. बोला- “यार तेरी दीदी तो एकदम मस्त है…”

वो कुछ आगे बोलता उसके पहले ही मैंने उसके होंठों पर उंगली रख दी… मैंने भी नशे में होने का नाटक किया..

“मस्त आप है..जीजू…”

“नहीं…मस्त तो तू है… जरा देख अपने को..”

“क्या देखूं…मुझे तो तुम ही दिखाई दे रहे हो…”

अब जीजू मस्ती में आ गए … उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया… मैं जान करके उसकी गोदी में गिर गई. उसने मुझे बाँहों में कस लिया…

मैंने कहा- “जीजू…ये नीचे क्या लग रहा है…”.

मैं थोड़ा कसमसाई… पर उसका लंड था की घुसता ही जा रहा था. मैं थोड़ा उठ गई… मैंने जान कर के ऐसे उठी की अपनी चूतड की गोल गोल फ़ांकें उसके सामने हो गई…

उसने मेरे दोनों चूतडों को दबा दिया…

मैं जैसे नशे में बोली- “हाय रे..जीजू मर गई…क्या कर रहे हो…”

जीजू ने कहा – ” शिखा … मज़ा आया न..अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ…”

“नहीं..नहीं…तुम कुछ गड़बड़ करोगे…”

ज्यादा नहीं…बस थोड़ा सा…”

“अच्छा.. ठीक है..”

मेरा मन तो खुशी के मरे उछल रहा था…मैं धीरे से जा कर बिस्तर पर लेट गई.

जीजू ने कहा – “अब आँखे बंद कर लो…”.

“हटो जीजू…जरूर तुम… देखो छेड़ना मत…”मैंने आँखें बंद कर ली… जीजू पलंग पर पास आकर बैठ गए…और उनका हाथ हौले हौले से मेरे बदन को गुदगुदाने लगा।

वो मेरी दोनों टांगों को धीरे धीरे सहलाने लगे…और ऊपर की तरफ़ आने लगे. मेरे नितम्बों पर उनका हाथ घूमने लगा… मुझे सनसनी सी होने लगी…

वो जान करके अपना हाथ मेरी चूत पर भी टकरा देता था… तब जोर का करंट जैसा लग जाता था…

फिर धीरे धीरे उसने मेरी चूत पर कब्जा कर लिया… मैं सी सी कर सिस्कारियां भरने लगी. अब उसका हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था… एक हाथ चूत पर…और एक हाथ बूब्स पर…

ने कहा – ” नेहा… मज़ा आया न..अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ…”

“नहीं..नहीं…तुम कुछ गड़बड़ करोगे…”

ज्यादा नहीं…बस थोड़ा सा…”

“अच्छा.. ठीक है..”

मेरा मन तो खुशी के मरे उछल रहा था…मैं धीरे से जा कर बिस्तर पर लेट गई।

जीजू ने कहा – “अब आँखे बंद कर लो…”.

हटो जीजू…जरूर तुम… देखो छेड़ना मत…”मैंने आँखें बंद कर ली… जीजू पलंग पर पास आकर बैठ गए…और उनका हाथ हौले हौले से मेरे बदन को गुदगुदाने लगा।

वो मेरी दोनों टांगों को धीरे धीरे सहलाने लगे…और ऊपर की तरफ़ आने लगे।

मेरे बूब्स पर उनका हाथ घूमने लगा… मुझे सनसनी सी होने लगी… वो जान करके अपना हाथ मेरी चूत पर भी टकरा देते … तब जोर का करंट जैसा लग जाता था…

फिर धीरे धीरे उसने मेरी चूत पर कब्जा कर लिया… मैं सी सी कर सिस्कारियां भरने लगी. अब उसका हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था… एक हाथ चूत पर…और एक हाथ बूब्स पर…

“शिखा …कैसा लग रहा है…”

मेरे मुंह से अचानक निकल गया – ” जीजू…तुम्हारे हाथो में तो कमाल है… अब कुछ कर दो न… कुछ भी करो..”

जीजू ने मेरे बूब्स भींचने चालू कर दिए…दूसरा हाथ मेरी चूत की गहराई नापने लगा…उसकी बेताबी बढाने के लिए मैंने कहा – “जीजू… बस अब नहीं… दूर हटो…”

मैं बिस्तर से नीचे उतर गई।

जीजू भी मेरे पीछे आ गए …पीछे से हाथ डाल कर जीजू ने मेरे बूब्स पकड़ लिए… “शिखा … प्लीज़ करने दो… तुम्हे देख कर मेरा मन कब से कर रहा था की बस एक बार तुम्हे दबा दूँ। तुम्हारे ये उभार…गोलाईयां देख कर मुझसे रहा नहीं जाता है अब…”

जीजू का लंड मेरे चूतड़ों में घुसा जा रहा था. मुझे उसके लंड का साइज़ तक चूतड़ों में महसूस हो रहा था।

मैंने मुस्करा कर जीजू की तरफ़ देखा… और कहा ” पहले अपना ये मेरे हाथ में दो..”

“क्या…हाथ में क्या दूँ ?”

“वो… अपना मोटा सारा लंड…”

लंड का नाम सुनते ही वो तो जैसे पागल हो उठा.” मेरा लंड… वऊऊ… अरे पकड़ लो न… पूरा लंड तुम्हारा ही है…”

मेरी तमन्ना पूरी होने लगी थी. मेरा मन ख़ुशी से भर उठा. मुझे लगा अब चुदाई में ज्यादा देर नहीं है… मैंने नशे में होने का नाटक करते हुए कहा – “हाय रे जीजू…मत करो न…मुझे गुदगुदी होती है… देखो न तुम्हारा नीचे का डंडा…मेरी गांड में लग रहा है…”

उसका लंड नीचे से गांड में घुसने के लिए जोर मार रहा था. उसके मोटे लंड का स्पर्श मुझे पूरा महसूस हो रहा था. मैंने अपने आप को उसके हवाले करते हुए कहा- “दूर हटो न…जीजू… तुम्हारा लंड तो गांड में घुसा जा रहा है..”.

लंड और गांड का नाम सुनते ही जीजू का मन बेकाबू हो गया और उसने कहा शिखा .तुम्हारी गांड ही इतनी प्यारी है..की उसे देखते ही लंड को घुसा देने का मन करता है…”.

अब उसने और कस के पकड़ लिया था. मेरे बूब्स मसलने लगा, और ऊपर से कमर हिला हिला कर लंड को गांड की दरारों में मारने लगा…

“जीजू…बस भी करो…कोई आ जाएगा न…”

“नहीं …कोई नहीं आएगा… “. उसने अपनी पेंट को उतार दिया और कहा…”देख ये कितना तन रहा है..” फिर उसने अपना शर्ट भी उतार दिया और पूरा नंगा हो गया…

मैंने कहा – “जीजू…ये क्या करते हो… मुझे शर्म आ रही है…”

उसने मेरी एक नहीं सुनी. और मुझे उठा लिया…और बिस्तर पर प्यार से लेटा दिया. उसका लंड कड़क हो गया था।

मेरा कुरता और लेगिंग को खींच कर उतार दिया.मैं तो यही चाह रही थी. कहा – “अरे क्या कर रहे हो… मैं तो नंगी हो जाऊँगी न…”

बोला – “नंगे बदन आपस में रगड़ खायेंगे तो मज़ा भी तो आएगा “उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया. मेरी चूत भी गीली हो गई थी।

मैं बहुत खुश थी कि अब मैं चुद जाऊँगी. मैंने अपनी टांगे फैला दी और जीजू को अपने ऊपर चढ़ने का न्योता दिया।

वो मुस्करा कर पास आया और मेरी दोनों टांगो के बीच में आकर बैठ गया। उसने मेरी चूत सहलाई और चेहरा पास लाकर चूत को प्यार किया।

मेरे चूत के दाने को जीभ से घुमा कर चाटना शुरू कर दिया।

मैं झनझना उठी… मुंह से आह निकल गई. अब वो मेरी चूत चाटने लगा. उसके हाथों ने मेरे बूब्स को मसलना चालू कर दिया।

मुझे नशा सा आने लगा. कहने लगी – ” मज़ा आ रहा है…जीजू…आ ह…हाय रे…और चूसो…निकाल दो मेरा पानी…आह्ह्ह्ह…”

जीजू ने मेरी टांगे और ऊपर कर दी अब मेरी गांड उसके सामने थी. टांगे थोडी और फ़ैलाकर उसने अपना मुह मेरी गांड के छेद पर लगा दिया और जीभ निकालकर छेद को चाटने लगा।

मुझे गुदगुदी होने लगी. उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद में घुसा दी. मैं आनंद के मारे मैंने आंखे बंद कर ली।

मैं समझ गई थी कि वो मेरी गांड मारने कि तैयारी कर रहा है. वाह शिखा “तुमने तो पहले से ही गांड में चिकनाई लगा रखी है ”

“हाँ जीजू…मुझे आज लग रहा था कि तुम आज कुछ न कुछ ऐसा ही करने वाले हो…इसलिए मैंने तो पूरी तैयारी कर ली थी… आह जीजू… मज़ा आ रहा है…और करो…मैंने खुशबू वाली क्रीम लगाई है… आह रे…पूरी जीभ अन्दर डाल दो…”

जीजू ने तकिया मेरी कमर के नीचे रख दिया. मेरी गांड अब थोडी ऊपर हो गई थी… उसने अपना लंड छेद पर रख दिया…

“जान … मेरी प्यारी शिखा … गांड मराने को तैयार हो जाओ…”

“हाँ मेरे राजा… घुसा दो अन्दर… मार लो गांड मेरी…”… तो लो मेरी जान… ” उसके लंड की सुपारी गांड में घुस गई… मेरी गांड की चुदाई शुरू हो गई थी… मैं मन ही मन झूम उठी…

“..हाय… घुस गया रे… राजा…लगाओ…जोर लगाओ जीजू…”

” येस…येस… ये लो… आह… आया…आह…”

जीजू का लंड अन्दर घुसा जा रहा था…मुझे अन्दर जाता हुआ महसूस हो रहा था…फिर उसने बाहर निकाला और जोर लगा कर एक ही झटके में पूरा ही घुसेड दिया…

“हाय जीजू… मज़ा आ गया… धक्के लगाओ…हाँ…हाँ… थोड़ा जोर से… और जोर से…”

“मेरी जान… तुम्हारी गांड तो बिल्कुल मक्खन मलाई है… इतनी चिकनी कि बहुत मज़ा आ रहा है… देखो लंड कैसे फटाफट चल रहा है…”

गांड में लगाई हुयी चिकने से दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा था. और अब तो मीठा मीठा मज़ा भी आ रहा था।

“वो जोर जोर से धक्के मारने लगा…मैं तकिये के कारण ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही थी. पर उसके धक्को का पूरा मज़ा ले रही थी…

अचानक वो रुक गया और धीरे से अपना पूरा लंड बाहर निकाल लिया. मुझे छेद के अंदर ठंडी सी हवा लगी…जैसे कुछ खाली हो गया हो… उसने नीचे से तकिया हटा दिया।

अब वो मेरे ऊपर आकर धीरे से लेट गया और अपना बदन का पूरा भर मेरे पर डाल दिया. मेरे होटों को अपने होटों में दबा लिया… और चूसने लगा… उधर नीचे भी लंड अपना रास्ता दूंढ रहा था।

मैं भी कसमसा कर लंड को निशाने पर लेने की कोशिश कर रही थी. मेरी चूत पानी से चिकनी हो गई थी।

आखिर लंड ने रास्ता दूंढ ही लिया उसके लंड की मोटी सुपारी मेरी चूत में सरक गई मेरी आह निकाल गई.. मैंने नीचे से जोर लगाया तो लंड और अन्दर सरक गया।

उसने लंड को बाहर खींचा और जोर से अन्दर धक्का दे दिया। उसका पूरा लंड भीतर तक बैठ गया मेरे मुंह से चीख निकल गई। चूत गीली होने से धक्के मारने पर फच फच की आवाजें गूंजने लगी…

” राजा और जोर से…लगाओ…हाय रे…पूरा घुसा दो…जड़ तक… घुसेड दो… हाँ…हाँ… चोद दो..राजा…जोर से.. चोद दो…”

“हाँ मेरी रानी… तुम्हे देख कर ये लंड कब से तड़प रहा था… चोदूंगा रे… कस के चोदूंगा… ले… ले…और ले… फाड़ ही दूँगा..आज तो…”

“आह रे.. मेरे जीजू…सुच में..फाड़ मेरी चूत…लगा..जोर से…दे…दे…जोर दे दे..हाय…सी..सी…सी…चुद गई रे… मेरी माँ…”

“हाँ..हाँ… मेरी जान…आज तो फाड़ डालूँगा…तेरी चूत को…ये ले…पूरा लंड..ले..ले..ये ले..और ले… मेरी जान… क्या चीज़ हो तुम…”

उसके धक्के तेज होने लगे लगे. फच फच की आवाजे भी तेज होने लगी. मैं भी नीचे से चूत उछाल उछाल कर जोर से चुदवा रही थी।

मेरी कमर भी तेजी के साथ चल रही थी. मुझे बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था. मेरी सिसकियाँ भी बढ़ने लगी… मेरे मुंह से अपने आप निकलता जा रहा था – “मेरी चूचियां मसल डालो जीजू… हाँ…जरा जोर से मसलो… मज़ा आ रहा है… हाय…मसलो डालो… झटके दे दे..के चोदो राजा..हाँ..हा…ऐसे ही…चोद डालो मेरे राजा…”

मेरी सिस्कारियां बढती जा रही थी. मेरे चूतड अब तो अपने आप ही नीचे से उछल उछल कर उसके लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे।

जीजू से जोर से चिपक गई मेरा भी निकलने ही वाला था… वो अपना लंड जोर से चूत में दबाने लगा ने…और मैं… मैंने अपने दोनों टंगे ऊँची करके चूत को लंड पर गडा दिया… और पूरा जोर लंड पर लगा दिया…

ऊऊईई ए…हाय राम…मर गई ए… पानी निकल गया या…अरे…निकला रे…हाय…चोद दे…चोद दे..हाय रे आह…आह…आआह्ह्… गई ..गऽऽई…अआः…चुद गई…चुद गई…आह…आःह्छ ” सिसकारी भर कर मैंने पानी छोड़ दिया…

उधर जीजू ने अपना लंड निकला और मेरे बूब्स पर अपना लावा उगलने लगा… रुक रुक कर उसका लंड रस उछाल रहा था…

मैंने तुंरत उसका लंड अपने मुंह में ले लिया. और उसका चिकना चिकना रस चाटने लगी. लंड को पूरा साफ़ करके मैं आराम से लेट गई।

मैं करवट लेकर उस से लिपट गई… हम वैसे ही नंगे पड़े रहें और हम दोनों कब सो गए हमें पता भी नहीं चला…

मेरी जीजू के साथ चुदाई की कहानी बहुत दिनों तक चलती रही और फिर मेरी शादी हो गई।

 

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