चुदाई की रात

मैं जान्हवी श्रेया और ऋतू पक्की सहेलियां हैं। हम तीनों की कोई बात आपस में किसी से छुपी नही रहती थी, हम तीनों में सबसे सुंदर मैं ही हूँ पर श्रेया और ऋतू भी दिखने में सुंदर हैं।

श्रेया की शादी हुए तीन साल हो चुके हैं, उसका का पति भी बहुत हैंडसम हैं वो भी मुझसे
बहुत हिलमिल गया है।

अक्सर ही हम लोग एक दूसरे के यहाँ पार्टी रखते हैं और साथ साथ हँसी मजाक करते हैं।

मेरी इच्छा भी अब होने लगी कि मैं भी श्रेया के पति पंकज के और करीब आऊँ, मुझे वो अच्छा भी लगता है।

मेरा जिस्म भी सेक्सी है, मेरे बूब्स भी बड़े बड़े है,एक दम गोल और तने हुए किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं।

मेरी कमर पतली है, मेरे चूतड़ थोड़े से भारी हैं, दोनों चूतड़ों की फांकें गोल और कसी हुई हैं, चलते समय मेरी चूतड़ों की दोनों गोलाईयाँ ऊपर नीचे लहराती हैं।

पंकज मुझे चोरी चोरी तिरछी निगाहों से देखते रहते थे। मैं उन के करीब रहने की कोशिश करने लगी। मैं श्रेया के यहाँ अधिक जाने लगी अब पंकज भी मेरे से सेक्सी मजाक करने लगा था।

मैं श्रेया से मिलने उसके घर गयी तो देखा उसके पति पंकज मेरे सामने ही थे मैंने श्रेया को वहां न पाकर पंकज से श्रेया के बारे में पूछा।

“हाय पंकज … श्रेया कहाँ है..”

“किचन में है… अभी आ जायेगी बैठो..”

पंकज सफ़ेद पजामे और बनियान में था मुझे देखते ही पता चल गया कि उसने अन्दर अंडरवियर नहीं पहना है. उसके सोये हुए लंड तक का आकार ऊपर से ही नजर आ रहा था।

मैं जानबूझ के सोफे पर ऐसे झुक कर बैठी कि उसे मेरे बूब्स आसानी से दिख जाएँ। उसने भी मेरे बूब्स को देखने का लालच नहीं छोड़ा। मैंने उसे देखते हुए पकड़ लिया, मैं मुस्कराई, वो शरमा गया…

मैंने पंकज से कहा जीजू क्या देख रहे थे…उन्होंने कहा कुछ नहीं… बस .. शरारती हो… है ना ..

पंकज का लण्ड अब धीरे धीरे खड़ा होने लगा था, मुझे देख कर वो उत्तेजित होने लगा था।

कौन शरारत कर रहा है… श्रेया कमरे में आते हुए बोली।

जीजू… मजाक अच्छी मजाक करते हैं .. मैंने बात बदल दी।

लो चाय हाजिर है…श्रेया ने कहा

मैंने आगे कहा श्रेया … जीजू से कहो ना कभी कभी तो हम पर भी लाइन मार लिया करें ..

अरे तुम ही लाइन मार लो ना… जीजू तो तुम्हारे ही है ना…

क्यों जीजू… क्या इरादा है…

पंकज … बताओ भी तो… मैंने आगे कहा

पंकज … बता भी दो…

अरे मौका तो मिलने दो… फिर इसका चुम्मा भी लूँगा… और ..और ..

और क्या क्या करोगे… अब थोडी शर्म करो… तुम्हारी बीवी पास खड़ी है…

बीवी की पूरी परमिशन है… मुग्धा ये कह रहा है तो चुपके से दे ही देना..

पंकज मेरे पास आयी और मेरे कान में धीरे से मजाक में कहा – “जरा ध्यान दो… तुम्हारे जीजू का खड़ा हो रहा है ..”

मेरी नजर तो पहले ही उसके लंड पर थी, यह सुनकर मैं शरमा गई, मैं धीरे से बोली- “धत्त… ”

“क्या हुआ. .हमें भी तो बताओ..”

उसकी बात सुनकर हम सभी हसने लगे पर जीजू का मजाक मुझे अच्छा लगा…

कुछ देर बाद हम दोनों बात करने लगी की आज रात हमारी सहेली ऋतू की शादी हैं शाम का वहां जाने का क्या प्लान हैं?

तो पंकज ने कहा तुम भी हमारे साथ चल ले न कार में।

मैंने कहा ठीक हैं कुछ देर बाद चाय नाश्ता करते करते हम तीनो हंसी मज़ाक करने लगे और मैं घर आ गई।

शाम को मैं तैयार होकर श्रेया के घर पहुँच गई पंकज की नज़र मुझ पर ही टिक गई थी।

आज रात को हमारी सहेली ऋतू की शादी की होटल में पार्टी थी हम सभी एक कार में होटल आ गए थे। वहां ऋतू को उसकी सहेलियों ने घेर रखा था।

श्रेया ऋतू को सजाने सँवारने लगी तभी श्रेया पंकज और मुझसे कहने लगी तुम दोनों यहाँ क्या करोगे नीचे हॉल में पार्टी एन्जॉय करो..

मुझे तो मौका मिल गया, मैंने आज पार्टी के लिए खास सेक्सी ड्रेस पहनी थी ब्रा इस तरह से कसी थी कि मेरे बूब्स बाहर उभरे हुए नज़र आ रहे थे

ब्रा इस तरह से कसी थी कि मेरे बूब्स बाहर उभरे हुए नज़र आ रहे थे मैंने टाइट पार्टी गाउन पहना था ताकि पंकज मेरे हुस्न का मजा ले सके।

उसे आज पटाना भी था श्रेया से मुझे हरी झंडी मिल ही चुकी थी।

हम दोनो नीचे हाल में आ गए। थोड़ी देर वहां कुछ खाया पिया और बातें करते रहे।

मैं बार बार उसका हाथ पकड़ लेती थी। वो हाथ छुड़ाता भी नहीं था। फ़्लोर पर कुछ जोड़े डांस कर रहे थे।

पंकज बोला- चलो जान्हवी ! डांस करते हैं…

“हां… चलो… ना… ”

हम दोनो डांस फ़्लोर पर आ गए। मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो वो सिहर गया।

” जीजू… शरमा रहे हो… मेरी कमर में भी हाथ डालो… ”

उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और हम थिरकने लगे। मैं जान बूझ कर अपने बूब्स उसके सामने उछाल रही थी।

उसकी नज़रें मेरे बूब्स से हट नहीं रही थी। मुझे लगा कि मेरा जादू चल गया। मैंने उससे टकराना शुरू कर दिया। कभी बूब्स टकरा देती तो कभी उससे चिपक जाती।

अब पंकज भी समझने लग गया था। वो भी मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकने लग गया था।

इतना कि उसके मोटे लण्ड की चुभन मैं कभी अपने चूतड़ों पर महसूस करती तो कभी अपनी चूत के पास।

मैं तो यही चाहती थी कि पंकज मुझसे और खुल जाए। कुछ ही देर में हम थक गए। डांस छोड़ कर हम गार्डन की तरफ़ चले गए।

जहाँ एक खाली जगह थी वहां दो कुर्सियां रखी थी पंकज एक कुर्सी पर आधा लेट गया। उसका लण्ड उभर कर दिखने लगा।

मैं भी उसके पास रखी कुर्सी पर बैठ गई। वो एकटक मुझे निहार रहा था। मैंने कहा क्या देख रहे हो जीजू… मुझे कभी देखा नहीं क्या?

पंकज ने कहा हां.. पर ऐसी जाह्नवी नहीं… ” वो मुस्कुरा उठा।

.मैंने कहा मैंने नहीं बल्कि.जीजू… आप आज कुछ अलग लग रहे हो… ”

” तुम कितनी सुन्दर लग रही हो आज..”

“हाय जीजू… ऐसे मत बोलो ना..”

“सच कह रहा हूँ… तुम्हारा बदन भी आज सेक्सी लग रहा है… मुझसे अब सहा नहीं जा रहा है..”

“जीजू… हाय रे… फ़िर से कहो..” मैं खुशी से बेहाल हुई जा रही थी।

हमारे लिए एक फायदा यह था की वो खाली जगह एक कोने मैं थी जहाँ किसी के आने का डर भी नहीं था।

हम दोनों एक दूसरे के लिए तड़प रहे थे और अब सेक्स की इच्छा को पूरा कर लेना चाहते थे।

वो मेरी आंखों में झांकने लगा। मैने भी अपने नैन उस से लड़ा दिये। आंखों ही आंखों में हम दोनो डूबने लगे।

मैं भी अनजाने में उसके ऊपर झुकती चली गयी हमारे होंट जाने कब एक दूसरे से चिपक गए मेरी साँसे गहरी हो चली थी।

पंकज मेरे होटों को चूस रहा था मैं भी अपनी जीभ उसके मुंह में डाल चुकी थी मेरा हाथ अपने आप ही उसके पेट पर से होता हुआ उसके लंड से टकरा गया।

मैंने पेंट के बाहर से ही उसे पकड़ लिया वो सिहर उठा उसका लंड उत्तेजित हो कर मोटा और लंबा हो गया।

बहुत ही कड़क होकर बाहर जोर लगा रहा था उसका हाथ मेरे बूब्स पर पहुँच गया था।

एक हाथ से उसने मेरे बूब्स दबा दिए मैं ख़ुशी से पागल हो गयी ज्यादा खुशी इस बात की थी कि अब पंकज मुझे जरूर ही चोद कर रहेगा।

मैंने कहा – हाय जीजू… मेरे बूब्स और मसल दो… मजा आ रहा है…  कहते हुए मैंने उसकी पेंट की जिप खोल दी और लंड को पकड़ कर सहलाने और हौले हौले उसे मसलने लगी.

उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. बोला -“थोड़ा जोर से पकड़ कर ऊपर नीचे करो…

जीजू… कितना मोटा लंड है… हाय जीजू मुझे कब चोदोगे…

आज ही रात को… श्रेया से पूछ कर…

वो हाँ कह देगी ?… मैंने अनजान बनते हुए पूछा. पंकज मुझे देख कर मुस्कराया पर बोला कुछ नहीं

अब बस करो नहीं तो मेरा रस निकल जाएगा…

नहीं … थोड़ा और मसलने दो ना… तुम भी बूब्स दबाओ ना… खींचो ना… ” मैं जोश में बोले जा रही थी। तुम ही कुछ कर दो ना… मेरी तो चुदवाने कि बहुत इच्छा हो रही है !

पंकज ने कहा हाँ मेरी रानी….. मेरी जाह्नवी को किस चीज़ की जरूरत है मुझे पता हैं .. और हंस पड़ा । उनके यह कहते ही मैं शरमा गई।

उसने कहा घर चल कर देखते हैं मैंने कहा किसके?

तो पंकज बोले तुम्हारे मैंने उनसे पूछा वो कैसे ?

तो उन्होंने फ़ोन लगाया और मुझे कुछ देर रुकने का इशारा किया उन्होंने श्रेया को कहा की तुम्हारी सहेली जान्हवी की तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही हैं…. फिर पंकज ने मुझे फ़ोन पकड़ा दिया

मैंने श्रेया से कहा वो……मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा हैं….. कुछ देर के लिए मुझे आराम करना हैं तो श्रेया कहने लगी अच्छा ठीक हैं जान्हवी तुम घर चली जाओ अपने जीजू के साथ।

मैं ऋतू को बता दूंगी मैंने कहा ठीक हैं यह कहते ही मैंने फ़ोन काट दिया।

अब पंकज और मुझे एक साथ वक़्त बिताने का मौका मिल गया था। पंकज मुझे देख कर मुस्कुराने लगे हम दोनों पंकज की कार में बैठकर मेरे घर की ओर चल दिए क्योंकि मेरा घर पास में था

हम दोनों से अब रहा नहीं जा रहा था इसलिए हम दोनों ने मेरे घर पर ही चुदाई का प्लान बनाया

कार में जाते जाते ही मैंने अपना सर पंकज की गोद में रख दिया था और उनके लंड को पेंट में से सहलाने लगी

पंकज ने कहा आह मेरी जान तुम्हें आज इस लंड का मज़ा पूरा मज़ा मिलेगा

कुछ देर में मेरा घर आ गया था पंकज ने अपनी कार रोकी और जल्दी से हम दोनों मेरे घर के अंदर पहुँच गए

पंकज ने दरवाजा बंद कर दिया और हॉल में सोफे पर लेट गया मैं भी पंकज के साथ लेट गयी कमरे की रौशनी धीमी कर दी थी

मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था मुझे पता था आज मेरी चुदाई हो ही जायेगी।

मैंने हिम्मत करके पंकज की पेंट पर हाथ रख दिया उसने मेरी तरफ़ देखा मैंने हाथ बढा कर उसका लंड पकड़ लिया

उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था उसके लंड की मोटाई से मैं सिहर उठी मैं उसका लंड दबाने लगी मैंने पेंट के अन्दर हाथ डाल दिया

उसके मुंह से सिसकारी निकल पड़ी उसने मेरे बूब पकड़ लिए और धीरे धीरे सहलाने लगा

मेरे गाउन के अंदर से ही मेरे बूब्स दबाने लगा मेरे मुंह से आह निकल गयी।

मैंने उसका लंड पकड़े पकड़े ही उसकी तरफ़ पीठ कर ली पंकज मेरी पीठ से चिपक गया मेरे जिस्म में सनसनी फैलने लगी

उसके हाथ मेरे गाउन में घुस चुके थे और वो मेरे बूब्स को मसलने लगा

उसने मेरे गाउन को खोलकर मुझे ब्रा और चड्डी में खड़ा कर दिया मैंने अपने बूब्स पर अपने हाथ रख दिए।

उसने मुझसे कहा अरे शरमा क्यों रही हो तुम भी तो यही चाहती थी न कब से।

मैंने कहा हाँ जीजू तो पंकज ने कहा, जीजू नहीं जानेमन कहो, यार जाह्नवी मज़ा आएगा।

मैंने कहा आह… आह…. जानेमन बुझा दो मेरी प्यास आ जाओ न यार यह सुनते ही उन्होंने अपना लंड निकाला और मेरे मुंह में दे दिया।

बहुत देर तक उनका लंड नीचे बैठकर लॉलीपॉप की तरह चूसती रही और फिर उन्होंने मुझे बिस्तर परलिटा दिया और मेरी ब्रा और चड्डी को निकाल फेंका।

और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगे मैंने भी उनसे अपनी चूत को मज़े से चटवाने लगी आह….. आह…. उम्मम्ह….ओह्ह्ह मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। 

फिर थोड़ी देर में उसके लंड ने जोर मारा तो मेरी चूत मे थोड़ा सा घुस गया मैंने अपनी टांग थोड़ी ऊँची कर ली।

फिर तो लंड एक ही बार में मेरी चूत को फाड़ने अंदर घुस गया मेरे मुंह से आह निकल गयी।

उसने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर दूसरे ही झटके में लंड अन्दर घुसता चला गया उसने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए।

वो मुझे देख कर प्यार से मुस्कुराया .मजा आ रहा है ना…

हाय… पंकज … . मैं मर जाऊंगी… मुझे मत चोदो ना ..

अरे चुदाने के लिए तो तू तड़प रही थी ना… ले अब मेरा लंड है… खाए जा… और मस्त हो कर चुदवा।

मेरी चूत पानी से भीग गयी थी… सारा चिकना रस इधर उधर फ़ैल गया था लंड ने मेरी चूत को चूमा और चूत ने उसका वैलकम किया।

मेरे  मुंह से चीख निकल पड़ी, “हाय ..पंकज … मर गयी .. पंकज ने कहा हाँ… मेरी रानी… अब लंड का पता चला है… बहुत मोटा है ..मेरा।

पंकज अब नीचे से चूतडों को हिला हिला कर चोद रहा था सारा कमरा फच ..फच… की आवाज से गूंज उठा मैं मस्ती में झूम रही थी  हाय ..… चोद … और जोर से… फाड़ दे यार… स ई से ऐ… मर गयी… हाय… चोद दे…मैं होश खोती जा रही थी।

उसने लंड को दबा कर चूत में घुसा दिया और उसके धक्के तेज होते गए अब मुझे लग रहा था… कि मैं झड़ने वाली हूँ।

अचानक पंकज के लंड का दबाव मेरी चूत पर बढ़ने लगा .. और फिर वो कराह उठा… “हाय मेरी रानी… मैं गया… मेरा निकलने वाला है… हँ… हँ… ओ ऊ ओह ह्ह्ह ह्ह्ह हह. ओ ऊ ह ह ह हह ह्ह्ह… … निकला… निकल अ… आ आह हह आया आह्ह…

उसके लंड ने अपना रस निकाल दिया था मैं निढाल सी बिस्तर पर पड़ी थी मजा आया मेरी रानी उसने कहा।

मज़ा तो बहुत आया सही में लेकिन श्रेया तो बहुत लकी जो आपसे से रोज़ चुदवा लेती होगी … मेरी तरफ़ तो देखो ना… चूत में ज़ंग लग जाता है .. मैं हंसती हुई बोली।

फिर पंकज ने कहा आज से मेरा लंड तुम्हारा हैं … खूब चुदवाओ मुझसे … और मस्त हो जाओ।

मैंने कहा ठीक हैं, आपके लंड का वेलकम हैं मेरी चूत के घर में।

पंकज मुझे देख मुस्करा रहे थे मैं आज उनकी बाहों में थी।

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