सेक्स कहानियां पढ़ने वाले मेरे सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार मेरा नाम मनीष हैं । दोस्तों मैं आपको एक सत्य घटना बताता हूँ ये घटना करीब तीन साल पहले की बात है, जब मैं स्कूल में पढ़ रहा था… अभी तो मैं BA कर रहा हूँ।
मेरे स्कूल की परीक्षा के पहले, मेरे सर का फोन मेरी माँ के पास आया था। शायद वो मेरी माँ से मेरी पढाई के सम्बन्ध में बात करना चाहते थे। मेरी माँ तब करीब 35 साल की रही होंगी, वो बहुत सेक्सी हैं मेरी माँ को मेरे सर ने फोन करके कहा कि आज रात तुम 7.30 पीएम पर अपने बेटे के साथ आ जाना। माँ ने सर से आने कारण पूछा उन्होंने उन्होंने बुलाने का कारण मेरी कमजोर पढ़ाई को बताया। मेरी माँ ने सर को विनती की, कि इस बार मेरे लड़के को किसी भी तरह पास करा दीजिएगा। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।
सर ने कहा- आप आईये, फिर देखते हैं कि क्या किया जा सकता है।
माँ ने कहा- हाँ आप सब कुछ देख सकते हो मैं तैयार हूँ।
सर ने कहा- मतलब?
माँ ने कहा- आप मतलब नहीं समझते हैं.. मैं आपको सबकुछ दिखाने आने को तैयार हूँ।
सर समझ गए और बोले- ठीक है आपका सही व्यवहार आपके लिए बड़ा फायदेमंद रहेगा।
सर की इस बात से मेरी माँ थोड़ी गरम हो गई थीं. उनको शायद सेक्स का खेल चाहिए था।
इसके बाद मेरी माँ ने सर से काफी देर तक बात की और बातों ही बातों में सर के साथ सेक्स चैट शुरू कर दी. उन दोनों ने अपने आपको बहुत गरम किया. इसके बाद मैं और मेरी माँ ठीक 7.30 पीम पर मेरे सर के यहाँ पहुँच गए । मैं अपनी माँ के बदन की गरमी को महसूस कर रहा था।
जब हम सर के यहाँ पहुँचे, सर ने हम दोनों को अन्दर बुलाया।
मेरी माँ करीब 5-7 मिनट सर से आँखों ही आँखों में बातें करने लगी कीं.. इससे मेरे सर भी बहुत गरम हो गए थे।
उस दिन माँ भी बहुत सेक्सी लग रही थीं. मेरे सर ने सभी अन्य बच्चों को जाने के लिए कह दिया. फिर मुझे भी सर ने बोला कि तुम दूसरे कमरे में बैठ जाओ।
मैं दूसरे कमरे में जा कर बैठ गया। कुछ पलों बाद मुझे इच्छा हुई कि जाकर देखूं कि सर और माँ क्या कर रहे हैं, तो मैं उस कमरे की खिड़की के पास खड़ा हो गया। मैंने खिड़की में से देखा कि सर मेरी माँ को धीरे धीरे किस कर रहे थे। मेरी माँ ने अपना ब्लाउज उतार दिया था. वो बड़ी मस्त माल लग रही थीं।
फिर सर ने माँ के मम्मों को अपने हाथों में लिया और उनके एक निप्पल को चूसने लगे। मेरी माँ भी सर को बड़ी मस्ती से दूध पिला रही थीं। फिर सर और माँ ऊपर के कमरे में सेक्स करने के लिए चले गए। मैं भी कुछ देर बाद ऊपर के कमरे के बाहर जाकर खिड़की से देखने लगा।
अब माँ पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं। माँ नंगी ही बिस्तर पर लेट गई थीं।
इसके बाद सर ने माँ को थोड़ा और गरम करने के लिए माँ के पाँव से लेकर सर तक धीरे धीरे ऊपर की ओर सहलाना चालू किया।
माँ थोड़ी और गरम होने लगी थीं। माँ के मुँह से ‘स्सस्सस्स.. आह.. स्सस..’ की कामुकता भरी आवाजें आने लगी थीं।
सर ने माँ की नाभि में धीरे धीरे उंगली करना चालू किया। माँ तड़प रही थीं। अब सर आपने हाथ को प्यार से और ऊपर की तरफ़ माँ के मम्मों पर ले जाकर हाथ में भरते हुए मसलना शुरू कर दिया था।
माँ चुदासी होकर एकदम से मचल उठी थीं । माँ को मजा आ रहा था।
सर ने माँ की नाभि के अन्दर अपनी जीभ डाल कर घुमाई.. तो माँ एकदम से गरम हो उठी थीं।
अब माँ से रहा नहीं जा रहा था। माँ डॉगी स्टाइल में होकर सर के लंड को किस करने लगी थीं.. और सर के हाथ माँ की गांड को सहला रहे थे।
फिर माँ सीधी हुईं तो सर ने बैठ कर माँ की नाभि को बड़े प्यार से किस पर किस किए जा रहे थे. माँ भी सर को गरम किस पर किस किए जा रही थीं।
अब माँ भी सर की इस हरकत से बहुत ज्यादा पागल होने लगी थीं.. मेरी माँ को भी बड़ा मजा आ रहा था।
इस वासना के खेल में माँ सर को मेरे लिए बोलना ही भूल गई थीं. फिर सर ने माँ को डॉगी स्टाइल में कर दिया और उनके पीछे से आकर माँ की चुत में अपना लंड डालना शुरू किया।
माँ बुरी तरह तड़फ उठी थीं.. क्योंकि सर का लंड बहुत बड़ा था और मेरी माँ की चुत छोटी सी थी, शायद पापा का लंड छोटा सा रहा होगा जिस वजह से माँ की चुत जयादा नहीं खुल पाई थी. और हो सकता है कि मेरी माँ की चुत पापा के लंड से संतुष्ट न हो पाती हों, जिस कारण उन्होंने सर से चुदाना ठीक समझा।
तो सर के बड़े लंड ने माँ की चुत को एक तरफ से फाड़ना शुरू कर दिया था।
मेरी माँ एक कमसिन लौंडिया की तरह चीख रही थीं जैसे उनकी सील खुल रही हो। सर ने भी बर्बरता से माँ की छोटी सी चुत के साथ घोड़े के लंड जैसे चुदाई करना चालू रखा। कुछ देर की तकलीफ के बाद मेरी माँ ने सर के लंड को पूरा खा लिया था और चुत के रस ने माँ की पीड़ा को खत्म कर दिया था।
अब माँ को भी लंड अच्छा लगने लगा था. मेरी माँ बहुत छरहरी और चंचल बदना हैं. माँ को भी अब जोर जोर से चुदवाना अच्छा लग रहा था।
सर ने माँ को हचक कर चोदा और करीब बीस मिनट बाद माँ की चुत में ही सर के लंड ने अपना वीर्य छोड़ दिया था।
इसके बाद कुछ देर के लिए दोनों निढाल हो गए. मेरी माँ सर का लंड चूसते हुए सर को फिर से गरम करने लगीं, शायद उनकी चुत को लंड की खुराक अभी और चाहिए थी।
एक घंटे में माँ ने सर के लंड से तीन बार चुत की आग बुझवाई और वे दोनों एक दूसरे से लिपट कर लेट गए।
इस दौरान चुदाई का मधुर कामुक और मादक संगीत कमरे के बाहर से ही मैं सुनता रहा था।
इसके बाद माँ साड़ी और बाकी कपड़े पहन कर बाहर आ गईं। तब सर ने मुझसे बोला कि चलो अब आज की पढ़ाई खत्म हुई, कल आना।
मैं सोच रहा था कि सर को कहना था कि आज की चुदाई खत्म हुई अब अपनी माँ को लेकर आना।